हिंदी भाषा विज्ञान की दूसरी परम्परा

भाषा विज्ञान की कक्षाओं में विद्यार्थियों को सवाल पूछना और शंका करना नहीं सिखाया जाता। उन्हें तो शंकाओं से मुक्त कर आश्वसत किया जाता है। आश्वस्त करने का यह काम करता है शास्त्र। रामविलास शर्मा ने सबसे पहला काम यह किया कि इस शास्त्र को चुनौती दी।… बड़े नामों से आतंकित हुए बिना उन्होंने 19वीं सदी के भाषा वैज्ञानिकों और सुनीति कुमार चटर्जी की मान्यताओं का विरोध करते हुए कुछ बुनियादी सवाल पूछे और दृढ़ता से कहा कि भाषाओं का जन्म मनुष्य जाति के जन्म संबंधी धार्मिक सिद्धांतों के अनुसार नहीं होता।

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भारतीय राष्ट्र और आदिवासी – वीर भारत तलवार

राष्ट्र की यह कल्पना किसी फौजी जमात जैसी है। जैसे फौज की टुकड़ी होती है, सब एक ड्रेस में, एक जैसी टोपी, एक साथ पैर उठाते हैं, एक साथ पैर पटकते हैं, एक साथ मुड़ते हैं- राष्ट्र ऐसा होना चाहिए। ये पूंजीवादी राष्ट्रवाद कोई बहुत अच्छी चीज नहीं है। मैं नहीं समझता की हिंदुस्तान की इतनी सारी विविधताओं, इतने सारे समुदायों, इतने सारे धर्मों को कुचलकर एक फौजी जमात जैसा राष्ट्र बना लेना कोई अच्छी बात होगी।

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