किस प्रलेस की बात कर रहे हैं आप

जो नामवर सिंह ‘साहित्य में प्रगतिशील आंदोलन की ऐतिहासिक भूमिका’ लिखकर रामविलासजी की उक्त मान्यताओं का प्रतिवाद कर रहे थे, आज वही उन मान्यताओं को दोहरा रहे हैं। नामवरजी ही नहीं प्रगतिशील आंदोलन की चर्चा करने वाले अधिकांश विद्वान चाहे वह रेखा अवस्थी हों, कर्णसिंह चैहान हों या सहारा आयोजन में शामिल रवींद्र त्रिपाठी और विश्वनाथ त्रिपाठी हों, रामविलासजी के हवाले से ही प्रगतिशील आंदोलन को समझते-समझाते हैं।

Continue Reading