यथा स्थिति से टकराते हुए
मुक्तिकामी विमर्शों के अपने-अपने प्रयास महत्वपूर्ण हैं, लेकिन मुक्ति के प्रयासों में साझापन भी होना चाहिए। आंदोलनधर्मिता और रचनाशीलता के मौजूदा संबंधों को समझना तथा जाति और पितृसत्ता के मुद्दे पर युवा रचनाकारों की सोच को सामने लाना हमारा मकसद था।