‘असली’ की असलियत – बद्री नारायण

उत्प्रवासों के असंख्य तंतुजालों से बनी इस सभ्यता में प्रामाणिक रूप से यह पता लगाना अत्यंत कठिन है कि कौन सी जातियां असली मालिक रही हैं। यह तो कहा जा सकता है कि कौन किस भूमि पर पहले आया, और बाद में, पर कौन कहां का मूल निवासी है यह तय करना अत्यंत कठिन है। हालांकि प्रामाणिक रूप से यह तय करना कठिन है कि कौन उस भूमि पर पहले आया और कौन बाद में।

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हॉब्सबॉम हमारे लिए

पूंजीवादी विश्वव्यवस्था पर उनका लेखन मार्क्सवादी विचारों की बेहतरीन अभिव्यक्ति है, पूर्व-पूंजीवाद से पूंजीवादी समाज में मनुष्यता के दर्द भरे संक्रमण का बेहतरीन आख्यान। उनका लेखन सिद्धांत के साथ व्यवहार का ऐसा सधा हुआ तालमेल है जिसमें इतिहास की बात करते हुए आख्यान भी साथ-साथ तैयार होता चलता है। इतिहास का विषय भले ही अतीत हो लेकिन उसकी वास्तविक चिंता तो हमारे वर्तमान से जुड़ी है और हॉब्सबॉम को पढ़ते हुए आप लगातार अपने वर्तमान को समझते चलते हैं।

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तीन सौ रामायणें – ए.के.रामानुजन

तुम धरती पर लौटोगे तो राम नहीं मिलेंगे। राम का यह अवतार अपनी अवधि पूरी कर चुका है। जब भी राम के किसी अवतार की अवधि पूरी होने वाली होती है, उनकी अंगूठी गिर जाती है। मैं उन्हें उठा कर रख लेता हूं। अब तुम जा सकते हो।
हनुमान वापस लौट गये।

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